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पाकिस्तान में किसानों ने खोला मोर्चा, टेंशन में आई सरकार, जानिए क्या है पूरा मामला?

सिंध चैम्बर ऑफ एग्रीकल्चर ने 45% कृषि आय कर को असंवैधानिक बताकर कोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया है. किसानों ने गेहूं की खेती का बहिष्कार कर वैकल्पिक फसलें बोने का ऐलान किया है.

Pakistan farmers vs government: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में किसानों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है. सिंध चैम्बर ऑफ एग्रीकल्चर (SCA) ने 45% कृषि आय कर (Agricultural Income Tax) के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है.

किसानों ने इसे असंवैधानिक, अवैध और अनैतिक करार देते हुए अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है. साथ ही पूरे सिंध के किसानों से अपील की गई है कि वे 2025-26 में गेहूं की खेती न करें.

किसानों की खुली चेतावनी

यह फैसला SCA की मंगलवार को हुई अहम बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता संगठन के संरक्षक प्रमुख सैयद नदीम क़मर ने की. बैठक में उपस्थित किसानों ने साफ कहा कि वे यह टैक्स नहीं देंगे, भले ही सरकार उन्हें गिरफ्तार कर ले. उन्होंने कहा, 'हम जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन यह कृषि टैक्स नहीं देंगे.'

किसानों ने कहा कि इस टैक्स को लागू करने के पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का दबाव है. साथ ही, उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब उन्हें फसल का वाजिब दाम ही नहीं मिल रहा, तो फिर आय पर टैक्स किस आधार पर लगाया जा रहा है?

गेहूं की जगह बोएंगे राई, सूरजमुखी और कलौंजी

SCA ने किसानों से अपील की है कि वे इस साल गेहूं की खेती न करें और उसकी जगह सरसों, सूरजमुखी, कलौंजी जैसी तिलहन फसलें बोएं. उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत ही कम हैं और लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. इस कारण 2025-26 को गेहूं बहिष्कार वर्ष घोषित किया गया है.

किसानों की कमाई आधी भी नहीं

चैम्बर ने कपास की स्थिति पर भी गंभीर चिंता जताई. उनके अनुसार, कपास उत्पादन 40% तक गिर चुका है और कुल उत्पादन 4 मिलियन बेल्स से ज्यादा नहीं पहुंचेगा. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि किसानों को सिर्फ ₹6,500 प्रति मन की दर मिल रही है, जबकि सिंध के कृषि मंत्री ने ₹11,000 प्रति मन का वादा किया था.

सरकार से मांग

SCA ने मांग की है कि स्थानीय कपास पर लगे 18% टैक्स को हटाया जाए और आयातित कपास पर 25% टैक्स लगाया जाए ताकि विदेशी कपास का आयात रुके और देश में उत्पादन बढ़े.

डीजल और खाद की कीमतों में आग

किसानों ने यह भी बताया कि खेती के खर्चे बेकाबू हो चुके हैं। पिछले 15 दिनों में:

  • डीजल ₹22 प्रति लीटर महंगा हुआ है
  • DAP खाद की कीमत ₹600 प्रति बोरी बढ़ी है

उन्होंने कहा कि बीज, कीटनाशक और सिंचाई जैसे सभी कृषि संसाधनों के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन किसानों को उनकी फसलों का सही मूल्य नहीं मिल रहा.

कृषि क्षेत्र की सिस्टमेटिक बर्बादी का आरोप

SCA ने चेतावनी दी है कि यह सब कृषि क्षेत्र को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने की साजिश लगती है. उन्होंने सरकार से तुरंत डीजल, खाद, बीज, कीटनाशकों और अन्य कृषि वस्तुओं की कीमतें वापस लेने की मांग की है.

सिंध में किसानों का आंदोलन अब तूल पकड़ता दिख रहा है. वे न सिर्फ खेती छोड़ने को तैयार हैं, बल्कि गिरफ्तारी का भी सामना करने को राज़ी हैं. यह विरोध पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, खासकर कृषि पर गहरा असर डाल सकता है.

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