BREAKING:
अब ठेकेदारों की खैर नहीं! National Highways पर दो हादसों के बाद 25 लाख जुर्माना, सरकार ने सख्त किए नियम       क्या भारत भी लगाएगा सोशल मीडिया पर बैन? ऑस्ट्रेलिया के बड़े फैसले पर भारतीय विशेषज्ञों की दो टूक राय       'Your Money, Your Right' movement क्या है, जिसे लेकर पीएम मोदी ने जनता से कर दी ये अपील?       Aaj Ka Rashifal 10 December 2025: चंद्रमा कन्या में, बातचीत, पैसों और फैसलों में रखें विशेष सावधानी       98 फुट ऊंची सुनामी, 2 लाख की जा सकती है जान! जापान में 7.5 तीव्रता के झटके के बाद 'मेगाक्वेक एडवाइजरी' से दहशत       Suryakumar Yadav Net Worth 2026: ब्रांड, कारें, करोड़ों के घर, जानें 'Mr. 360°' की कुल कमाई और लग्जरी लाइफस्टाइल       CG Police Constable Result 2023–24: सभी जिलों का रिजल्ट जारी, रोल नंबर से ऐसे करें चेक       19 Minute Viral Video भूलकर भी न करें शेयर, वरना हो जाएगी जेल! Bengali Influencers का प्राइवेट MMS लीक       नीम के 8 साइंस-प्रूफ फायदे, जानिए इम्युनिटी, पाचन और डायबिटीज में कैसे करता है कमाल       बंगाल चुनाव के लिए PM Modi ने फूंक दिया बिगुल, BJP सांसदों को दे दिया ये टास्क, टेंशन में TMC      

Jagannath Rath Yatra: राधा-कृष्ण के विरह और मिलन की अनसुनी कहानी

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण, राधा, बलराम और सुभद्रा की प्रेम और भक्ति की चिरंतन कथा है. यह परंपरा हजार वर्षों से चली आ रही है और अब दुनिया भर में मनाई जाती है. यह रथ यात्रा आत्मिक प्रेम, समर्पण और मोक्ष की दिशा में चलने का प्रतीक है.

Puri Jagannath Rath Yatra: पुरी, ओडिशा — जहां समुद्र की लहरें भगवान की जयकार में गूंजती हैं और आकाश में उठता ध्वज पुकारता है कि समय आ गया है एक बार फिर रथ खींचने का, वो समय जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ निकलते हैं गुंडिचा मंदिर की ओर... ये सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि हर साल एक जीवंत होती पुरातन कथा है जो प्रेम, भक्ति और आत्मिक मिलन की कहानी कहती है.

क्यों होती है रथ यात्रा?

रथ यात्रा की जड़ें एक पौराणिक कथा में हैं. कहते हैं कि भगवान कृष्ण जब मथुरा चले गए, तो वृंदावन की गोपियां उनसे बिछड़ने के दर्द से टूटी थीं. वर्षों बाद जब सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र में गोपियां कृष्ण से मिलीं, तो उनके हृदय की पीड़ा फूट पड़ी.

राधा रानी ने अपने नंदलाल को पहचानने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका कृष्ण अब राजा था, मुकुट और रत्नों से सजा, लेकिन उनका कृष्ण तो मोरपंख, बंसी और पीताम्बर वाला था. उसी पीड़ा में गोपियां और वृंदावनवासी कृष्ण के रथ को खींचकर वापस अपने साथ ले जाना चाहते थे.

यही कथा रथ यात्रा में सजीव होती है. भगवान जगन्नाथ (कृष्ण), बलभद्र और सुभद्रा को भव्य रथों में बिठाकर भक्तजन गुंडिचा मंदिर की ओर खींचते हैं, मानो उन्हें वापस वृंदावन ले जा रहे हों.

रथ यात्रा का महत्व

रथ का अर्थ है रथ और यात्रा का मतलब है यात्रा या तीर्थ.

ये एक आध्यात्मिक प्रतीक है जिसमें भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं.

रथ की रस्सी को खींचना माना जाता है पापों से मुक्ति और मोक्ष की ओर एक कदम.

यह पर्व पारिवारिक प्रेम, आत्मिक एकता और आत्मसमर्पण का उत्सव है.

इतिहास की कुछ विशेष कथाएं

1. कृष्ण का वादा और गोपियों की वेदना

कृष्ण ने कहा था कि वे जल्दी लौट आएंगे, लेकिन 100 वर्षों तक नहीं लौटे. जब वे मथुरा गए तो गोपियों ने उनका रथ रोकने की कोशिश . यह विरोध ही था भविष्य की रथ यात्रा की शुरुआत.

2. सूर्यग्रहण और कुरुक्षेत्र का मिलन

गोपियां और वृंदावनवासी कृष्ण से कुरुक्षेत्र में मिले, जहां राधा ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया. यही वह क्षण था जिसने इस कथा को अमर बना दिया.

3. राधा की पीड़ा और आत्मिक दूरी

राधा के मन में कृष्ण के नए रूप को देखकर विक्षोभ था। उनका कृष्ण अब राजसी बन गया था. यही राधा का भावनात्मक द्वंद्व है, जो रथ यात्रा की आत्मा है.

गुंडिचा मंदिर: आध्यात्मिक निवास

पुरी का गुंडिचा मंदिर, भगवान की मौसी का घर माना जाता है. प्रतीकात्मक रूप से यह वृंदावन है, जहां भक्त भगवान को वापस ले जाते हैं — भक्ति, प्रेम और स्मृति के रथ पर.

रथ यात्रा और इसका वैश्विक विस्तार

अब रथ यात्रा केवल पुरी तक सीमित नहीं रही. दुनिया भर में, लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक, इस महापर्व का आयोजन होता है. इंटरनेट और सामाजिक माध्यमों ने इसे एक वैश्विक आध्यात्मिक आंदोलन बना दिया है. इस यात्रा में सम्मिलित होना, जैसे हर भक्त के लिए आत्मा को भगवान से जोड़ने जैसा अनुभव है.

रथ यात्रा का संदेश: साथ, समर्पण और सत्य

रथ खींचना मात्र शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है.

यह त्याग, प्रेम और समर्पण का सबसे बड़ा प्रतीक है.

यह याद दिलाता है कि भौतिक संसार नश्वर है, लेकिन भक्ति और प्रेम अमर हैं.

क्यों है रथ यात्रा एक चिरंतन कथा?

जगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि जीवंत इतिहास है — जो भगवान कृष्ण की राधा से बिछड़न और मिलने की कथा के साथ जुड़ा है. यह हर वर्ष मन को छूने वाली यात्रा है, जो आत्मा को भगवान के चरणों तक ले जाती है.

हर साल लाखों श्रद्धालु जब भगवान के रथ को खींचते हैं, तो वह रथ दरअसल उनके हृदय का भार होता है जो वह प्रभु के चरणों में समर्पित कर देते हैं.

रथ यात्रा, एक यात्रा नहीं बल्कि एक युगों से चलती आत्मा की पुकार है. अगर आप भी इस बार पुरी न जा सके, तो मन में रथ खींचिए क्योंकि जहां श्रद्धा है, वहीं भगवान हैं.

ये भी देखिए: Tech Layoffs 2025: AI की आंधी में उड़ गए 61,000 टेक जॉब्स, अब इस कंपनी में होने जा रही बड़ी छंटनी